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5G : 120 साल पहले भारत की देन

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  देश में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या लगातार तेज़ी से बढ़ रही है और इसी के साथ टेक्नोलॉजी भी तेज़ी से बदल रही है। मौजूदा समय में हम इंटरनेट के लिए 4G तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं मगर जल्द ही 5G तकनीक के जरिए सुपरफास्ट इंटरनेट इस्तेमाल किया जा सकेगा। अभी 5G तकनीक को जमीन पर उतारने के पर्यास जारी हैं। इस संदर्भ में सभी को यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह तकनीक 120 साल पहले भारतीय वैज्ञानिक जगदीशचंद्र बसु द्वारा संसार को दी गई थी। जगदीशचंद्र बसु एक विश्व प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक थे जिन्हें भौतिकी ,जीव विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, तथा पुरातत्व का गहरा ज्ञान था।   वे पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने रेडियो और सूक्ष्म तरंगों की प्रकाशिकी पर कार्य किया था। साथ ही वे भारत के पहले वैज्ञानिक शोधकर्ता व पहले ऐसे वैज्ञानिक थे जिन्होंने एक अमरिकन पेटेंट प्राप्त किया था। उन्हें रेडियो विज्ञान का पिता माना जाता है। डॉ बसु millimeter-wavelength (30ghz से 300ghz स्पेक्ट्रम) के जरिए रेडियो कम्युनिकेशन का प्रदर्शन करने वाले पहले व्यक्ति थे। Short-wave communication जगदीशचंद्र बसु ने 5mm की  electromagn

Why 5G is faster than 4G// 4G से 5G क्यों तेज़ है।

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  5G वायरलेस सिग्नल को एक हाई फ्रीक्वेंसी बैंड में ले जा सकता है, जो रेडियो स्पेक्ट्रम पर 30 से 300 गीगा हर्ट्ज (GHz) के बीच मिलीमीटर तरंगों पर काम करता है। वर्तमान में रडार, सेटेलाइट और कुछ सैन्य प्रणालियों स्पेक्ट्रम के इस क्षेत्र का उपयोग करती हैं। इसके अलावा जहां 4G सैकड़ों मेगाबाइट प्रति सेकेंड (Mbps) का डाटा दर समर्थन करता है, वही 5G गीगाबाइट प्रति सेकेंड (Gbps) रेंज में डाटा दरों का वादा कर रहा है।  मिलीमीटर तरंग तकनीक वर्तमान तकनीक से अधिक डाटा क्षमता का वादा करती है क्योंकि एक सरल नियम है कि जितनी अधिक फ्रीक्वेंसी होगी उतनी अधिक डाटा संचारित हो सकता है। इसलिए एफएम रेडियो जिसमें सिर्फ ऑडियो प्रसारण होता है, आमतौर पर 87.5 से 108 मेगाहर्ट्ज (MHz) के बीच प्रसारित होता है, लेकिन LTE 4G जो वर्तमान में सबसे तेज़ माना जाता है - 700 मेगाहर्ट्ज से 2100 मेगाहर्ट्ज यानी 2.1 गीगाहर्ट्ज के बीच की फ्रिक्वेंसी पर कार्य करता है। इस प्रकार मिलीमीटर तरंग तकनीक 30 Ghz se 300 GHz पर डाटा संचारित करके LTE में सुधार की पेशकश करेगा।